सतरंगी पांख्याँ वालो
रंग-रंगीलो मोरियो
शीश किलंगी घंणी सोवणीरंग-रंगीलो मोरियो
प्यारो लागे मोरियो
पंख फैलाय छतरी ताणै
घूमर घाले मोरियो
मैह आव जद बोलण लागे
पैको-पैको मोरियो
पैको-पैको मोरियो
चोंच मार अर नाड़ उठावै
दाणा चुगतो मोरियो
दाणा चुगतो मोरियो
काचर खायर पांख गिरावै
चोमासा में मोरियो
चोमासा में मोरियो
साँझ ढल्यां पीपल रे ऊपर
जाकर बैठे मोरियो
जाकर बैठे मोरियो
पंछीङा में घणो सोवणों
रास्ट्र पक्षी यो मोरियो।
कोलकत्ता
१२ नवम्बर, 2010
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )