भौरान भोर उठती
पीसणो पीसती
खीचड़ो कूटती
रोट्या पोंवती
गांव री लुगायाँ
पूसपालो ल्यावंती
गायाँ ने नीरती
दूध ने दूंवती
बिलोवणो करती
गांव री लुगायाँ
बुहारी काढ़ती
बरतन मांजती
कपड़ा धोंवती
टाबर बिलमावती
गांव री लुगायाँ
खेत जावंती
निनाण करांवती
सीट्या तुड़ावंती
खलो कढावंती
गांव री लुगायाँ
पाणी ल्यांवती
गोबर थापती
माथो बांवती
मेहंदी मांडती
गांव री लुगायाँ
बरत करती
भजन गांवती
पीपल सींचती
काणी सुणती
गांव री लुगायाँ
तातो जिमावती
लुखी सूखी खांवती
सगळौ काम
सळटा "र सोंवती
गांव री लुगायाँ।
[यह कविता "एक नया सफर" नामक पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]
तातो जिमावती
लुखी सूखी खांवती
सगळौ काम
सळटा "र सोंवती
गांव री लुगायाँ।
[यह कविता "एक नया सफर" नामक पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]
wah bhut aacha likha he aapne iske liye thank u sumer
ReplyDeleteआपकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद सुमेरजी।
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