बूम चीक बूम चीक बूम चीक रे
गाड़ी दौड़ी जाए रे
बूम चीक बूम चीक बूम चीक रे
गाँवौ को ज़ोडे शहरों से
शहरों को नगरों से जोड़े रे
भेद-भाव नही इसके मन में
सबको साथ ले जाए रे
बूम चीक बूम चीक बूम चीक रे
हर स्टेशन पर रुकती जाए
मंज़िल तक पहुँचाए रे
हरा रंग का सिग्नल देखे
सरपट भागी जाए रे
बूम चीक बूम चीक बूम चीक रे
घाटी पर्वत नदियाँ झरने
सबको ये दिखलाए रे
सीटी बजाए शोर मचाए
गाड़ी भागी जाए रे
बूम चीक बूम चीक बूम चीक रे
काला-गोरा मोटा-पतला
सबको ये बैठाए रे
बच्चों के मन को भाए
नानी घर ले जाए रे
बूम चीक बूम चीक बूम चीक रे।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
बूम चीक बूम चीक बूम चीक रे।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
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