रिस्ते पैसों से नही बनते
रिस्ते बनते है दिलो से
दिल का रिस्ता हर रिस्ते
से बड़ा होता है।
दो घंटे सुबह साथ घूमते है
साथ चाय पीते है,
इस दो घंटे के साथ ने
हमे गहरे जोड़ रखा है।
यही है रिस्ते की गहराई
यही है रिस्ते की बुनियाद
इतना गहरा की हर
दुख सुख मे साथ होते है।
खून के रिस्ते से भी
कहीं ज़्यादा भरोसे मंद
और हर रिस्ते से उपर
दिल का रिस्ता होता है।
दिल का रिस्ता कभी भी
अमीर ग़रीब नही देखता है
इसी कारण दिल का
हर रिस्ते से बड़ा होता है।
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