Friday, August 31, 2012

पिट्सबर्ग का मौसम





कब सोचा था कि  
अमेरिका के पिट्टसबर्ग में
जाकर रहना पडेगा

भाषा और चाल- चलन
को समझना पडेगा
सर्दी-गर्मी को भी सहना पडेगा 

गर्मियों में होता है यहाँ
पंद्रह घंटों का दिन 
और नौ घंटों की रात

सड़क पर पैदल चलना पड़े तो
गर्मी करदे बेहाल और देखते ही 
देखते बादल और बरसात

फाल के मौसम में पेड़-पौधे 
छोड़ देते पुराना आवरण
और धारण करते नया परिधान

नयी कोपले जब पेड़ो पर
नए रंग में निकलती है
नंदन बन से लगते है बागान

सर्दियों में जब बर्फ गिरती है
चारो ओर उड़ते है बर्फ के फोहे
पूरा वातावरण ठिठुर जाता है

सड़क, मकान और पेड पौधे
सब हिम के धवल कणो से
ढक जाते है

सबसे सुन्दर होता है स्प्रिंग
जब चारों और रंग-बिरंगे
फूल खिलते हैं

पेड़ फलों से लहलहा उठते है
घाटियां और मैदान फूलों से
ढक जाते हैं

धरती पर ऐसा नजारा
बनता है की मन
आनंद से भर जाता है। 



  [ यह कविता "एक नया सफर" में प्रकाशित हो गई है। ]

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