Sunday, August 19, 2012

मरुधर (राजस्थानी कविता )





नावं सुण्या सुख उपजै
हिवड़े हरख अपार 
इस्ये  मरुधर देश में
घणी करे मनवार   


मरुधर सावण सौंवणो
बरस मुसळधार 
मरवण ऊबी खेत में
गावै राग मल्हार


सोनल वरणा धोरिया
मीसरी मघरा बैर
बाजरी री सौरभ गमकै
ले-ले मरुधर ल्हैर 


पल में निकले तावड़ो 
पल में ठंडी छांह 
इस्या मरुधर देश में
खेजड़ल्या री छांह 


मरुधर साँझ सुहावणी
बाजै झीणी बाळ 
टाबर घैरै बाछड़ा 
गायां लार गुंवाल 


रिमझिम बरसे भादवो
छतरी ताणै मौर 
मरुधर म्हारो सोवणों
सगला रो सिरमौर 


छैला झुमै फाग में
गूंजे राग धमाल 
घूमर घालै गोरड्या
उड़े रंग गुलाल। 




[यह कविता "एक नया सफर" नामक पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]







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