मैंने कृष्णा को
भीगा हुवा देख कर पूछा
बरसात में छत पर
क्यों गए थे ?
क्यों गए थे ?
कृष्णा बाल शुलभ
नज़ाकत से बोला
दादाजी परोपकार का
काम करने गया था
नज़ाकत से बोला
दादाजी परोपकार का
काम करने गया था
मैंने आश्चर्य से पूछा
भला बरसात में छत पर
कौन सा परोपकार का काम
करने गए थे ?
कौन सा परोपकार का काम
करने गए थे ?
जब बरसात में कोई भी
नहीं भीगता तो स्वयं बरसात को
भीगना पड़ता है यही तो कल आपने
कहानी में बताया था
कहानी में बताया था
कृष्णा आँखे मटकाकर बोला
अगर मै छत पर जाकर
नहीं भीगता तो स्वयं बरसात को
भीगना पड़ता
इसलिए मै छत पर भीगने चला गया
अब कम से कम बरसात को
भीगना तो नहीं पड़ेगा
दादाजी।
[ यह कविता "एक नया सफर " में प्रकाशित हो गई है। ]
No comments:
Post a Comment