Wednesday, August 22, 2012

जुम्मन की स्त्री



आज का युग
विज्ञान और प्रोद्योगिकी में
बहुत आगे बढ़ गया है

अन्तरिक्ष में स्टेशन बन गए हैं
जहाँ वैज्ञानिक अन्य ग्रहों पर
जीवन  की खोज करते हैं

इंटरनेट और मोबाइल ने
दूर संचार के क्षेत्र में क्रांति ला दी
पूरी दुनिया को एक साथ जुड़ गई है

मंगल ग्रह पर पानी को खोजा जा रहा है
कृत्रिम बादलो से बरसात की जा रही है
समुद्र से तेल निकाला जा रहा है

द्रुतगामी वायुयान बन गए हैं
फूलों में मन चाहे रंग भर दिए गए हैं
शरीर के अंगों का प्रत्यारोपण किया जा रहा है

लेकिन इन सबसे जुम्मन की स्त्री को क्या लेना-देना
उसे तो रोज सड़क के किनारे बैठ कर
भरी दुपहरी में पत्थर ही तोड़ना है

और ठेकेदार की बुरी नजर से बचते हुए
अपने बच्चे को दूध पिलाने के बहाने
किसी पेड़ की छांव में सुख ढुंढना है।




[ यह कविता "एक नया सफर " पुस्तक में प्रकाशित हो गई है। ]


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