संगमरमर के बने
विशाल मंदिरों में
मणि-माणक और
स्वर्ण-रजत से सुसज्जित
प्रस्तर प्रतिमाओं के सामने
छप्पन भोगो से भरे थालों
को सजाने से अच्छा है,
मंदिर की सीढियों पर
बैठे किसी लूले- लंगड़े
गरीब की सुधा को
दो रोटी खिला कर
शांत किया जाय।
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )
विशाल मंदिरों में
मणि-माणक और
स्वर्ण-रजत से सुसज्जित
प्रस्तर प्रतिमाओं के सामने
छप्पन भोगो से भरे थालों
को सजाने से अच्छा है,
मंदिर की सीढियों पर
बैठे किसी लूले- लंगड़े
गरीब की सुधा को
दो रोटी खिला कर
शांत किया जाय।
(यह कविता "कुमकुम के छींटे" नामक पुस्तक में प्रकाशित है )