म्हारौ बाळपणो
ओज्युं गाँव माँय
गाँव री बूढी-बडेरया
म्हारै बाळपणै रा चितराम
ओज्युं जम्योड़ा है
गाँव जाऊँ जणा
माथै पर दोन्यू हाथ फैर'र
ओ गाँव है
ओज्युं गाँव माँय
गुवाड़ी री चूंतरया माथै
पग लटकायां बैठ्यो है
गाँव री बूढी-बडेरया
ओज्युं संजो राखी है
म्हारी तोतली बोली ने
आपरै मना मांय
म्हारै बाळपणै रा चितराम
ओज्युं जम्योड़ा है
बारै निजरां मांय
गाँव जाऊँ जणा
माथै पर दोन्यू हाथ फैर'र
दैव घणी आसीसा
थारी हजारी उमर हुवै
थे सदा सुखी रेवो
दुधां न्हावो अर पूतां फळो
थारी हजारी उमर हुवै
थे सदा सुखी रेवो
दुधां न्हावो अर पूतां फळो
ओ गाँव है
अठै मन रो रिस्तो रैवै
अपणायत अर हैत रैवै
मिनखपणो दिखै
अपणायत अर हैत रैवै
मिनखपणो दिखै
पग-पग पर अठै
हेत-नैह री ओज्युं
हेत-नैह री ओज्युं
लैरा ब्येवै अठै।